जाति,समाज,भेद-भाव,आदि सब बाते ईश्वर ने नहीं बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया हैं इसलिए ईश्वर की नजर में न तो कोई उच्च है और न ही कोई निम्न इसलिए जो काम ईश्वर को भी पसंद नहीं है वह मनुष्यों को तो करना ही नहीं चाहिए। अर्थात जात-पात,धर्म,समाज आदि मिथ्या बातों में न पड़ कर आपस में प्रेमपूर्वक रहकर जीवन व्यतीत करना चाहिए।